? Thoughts in hindi ?
कचरे में फेंकी गई रोटियाँ रोज़ यही बयां करती हैं, की इंसान का पेट भरते ही इंसान अपनी औकात भूल जाता है।
पैर की मोच, और छोटी सोच हमे कभी आगे बढ़ने नही देती, टूटी कलम और दुसरो से जलन हमे अपना भाग्य बदलने नही देती, काम का आलस और पैसे का लालच हमे कभी महान नही बनने देता, और अपना धर्म ऊँचा और दुसरो का ओछा, ये सोच हमे कभी इंसान बनने नही देती।
इंसान घर बदलता है, लिबास बदलता है, दोस्त बदलता है, रिश्ते बदलता है, फिर भी परेशान रहता है, क्योंकि वो कभी खुद को नही बदलता।
गलती होने पर छोड़ने बाले बहुत मिलते हैं, पर गलती को समझा कर साथ निभाने बाले बहुत कम मिलते हैं।
कोई हालात नही समझता, तो कोई ज़ज़्बात नही समझता, ये तो अपनी अपनी समझ है, कोई कोरा पन्ना भी समझ लेता है, और कोई पूरी किताब नही समझता।
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